बीच में अर्थात 20 वर्ष पूर्व में ऐसा वातावरण बन गया था की कालसर्प योग कुछ नहीं होता है ! उसके पहले तो आतंक था कालसर्प योग का ! परन्तु कुछ ज्योतिषियों ने पुनः इसके पक्ष में माहौल बनाया और शोध के नाम पर कुछ न नुकुर के साथ इसको मान्यता देना प्र्रारम्भ कर दिया ! यह पढ़े लिखे ज्योतिषियों की एक सोची समझी रड़नीति थी ! इन सबके बीच राव सर की कालसर्प योग पर पहले अंग्रेजी में फिर हिंदी में पुस्तक भी आयी ! जिसमे इसपर हर तरह का विवेचन किया गया था और सिद्ध किया गया था की कालसर्प योग कुछ नहीं होता ! हां राहु तथा केतु अपना आतंक किसी स्तर तक फैला सकते हैं ! पर उनके बीच सभी ग्रहों का आना मात्र संयोग है या एक आकृति मात्र हैं ! इसी आकृति से प्रेरित होकर श्रीमाली जी ने इस योग का निर्माण कर दिया ! इसको अन्य तांत्रिक सरीखे ज्योतिषियों ने बढ़ावा दिया ! परन्तु आज इतना अधिक सामाजिक जागृति के बावजूद कालसर्प योग पुः आकार ले लेता है ! यह शर्म की बात है ! वास्तव में इसके लिए सर्वाधिक दोषी यूट्यूब है ! कोई भी माला पहन कर टीका लगाकर आ जाता है और कुछ भी बोल देता है ! महिलाएं विशेषकर इन यूटूबियों पर भरोसा कर लेती हैं ! मैं पूरी जिम्मेदारी से कहता हूँ की कालसर्प योग नामक कोई भी योग अस्तित्व में नहीं था ! कुछ तांत्रिकों और पुजारियों ने इसका निर्माण किया ! कालसर्प योग का हिन्दू वैदिक ज्योतिष से किसी प्रकार का कोई सम्बन्ध नहीं है !इतनी जागरूकता के बाद भी यदि कोई इसकी शान्ति के नाम पर पैसे ले रहा हैं तो लेने वाला शातिर हुआ और देने वाला मूर्ख ! फिर भी वास्तविक अंधविश्वास और वास्तविकता में बहुत अधिक अंतर है !